क्यों चाहें एक फूल गुलिस्तान बना दें !
हर चहरा मुस्कुराये वो जँहान बना दें !!
मिल जाए क्या तुझको गर बन गया खुदा !
संग आ मेरे कुछ लोगों को इंसान बना दें !!
मारने से आदमी ना खत्म हो बूरा !
जड़ मिटाए जो सैतान बना दें !!
करने जो उजाला छत तोड़ने चले !
घर उनकी दीवारों पे रोशनदान बना दें !!
कुछ लोग यहाँ अच्छे बस्ती ना तू जला !
बंद करदे वो दूकान जो हैवान बना दें !!
अश्कों से मिटा दे थोड़ी तो उनकी प्यास !
हैवानियत ना उनको बेजान बना दें !!
आ करदे एक मजहब इंसानियत हो नाम !
इस इश्क को सबका भगवान् बना दें !!
ये प्रेम ढाई आखर गीता मे एक रख !
बाकी जो डेड़ बचता कूरान बना दें !!
हर चहरा मुस्कुराये वो जँहान बना दें !!
मिल जाए क्या तुझको गर बन गया खुदा !
संग आ मेरे कुछ लोगों को इंसान बना दें !!
मारने से आदमी ना खत्म हो बूरा !
जड़ मिटाए जो सैतान बना दें !!
करने जो उजाला छत तोड़ने चले !
घर उनकी दीवारों पे रोशनदान बना दें !!
कुछ लोग यहाँ अच्छे बस्ती ना तू जला !
बंद करदे वो दूकान जो हैवान बना दें !!
अश्कों से मिटा दे थोड़ी तो उनकी प्यास !
हैवानियत ना उनको बेजान बना दें !!
आ करदे एक मजहब इंसानियत हो नाम !
इस इश्क को सबका भगवान् बना दें !!
ये प्रेम ढाई आखर गीता मे एक रख !
बाकी जो डेड़ बचता कूरान बना दें !!
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