Monday, April 28, 2008

परी या पगली !!



क्या लिखुँ उसके बारे मे, शब्द मेरे कम पड़ जाए !
कहूँ परी या पगली कोई , मन कुछ समझ ना पाए !!

नाम के जैसी मीठी बोली , हँसी खुशी की ये रंगोली !
तीखे तीखे नैन नक्श , प्यारी प्यारी सूरत भोली !!
जान बचा भागे हर कोई , पर गुस्सा जब आ जाए !
कहूँ परी या पगली कोई , मन कुछ समझ ना पाए !!

कभी करे शैतानी कभी, बन जाए बहुत सयानी !
कभी हँसे पगली सी ख़ुद पे , करके कुछ नादानी !!
कभी मचल जाए बच्चों सी , गर ये जिद पे आए !
कहूँ परी या पगली कोई , मन कुछ समझ ना पाए !!

कई ख्वाब आँखों मे ले, मन अरमान सजाये है !
जीवन मै हो प्यार यही, आशा दीप जलाये है !!
मेरी दुआ हर ख्वाब हो पुरा , जीवन आनंद मय हो जाए !
हो परी या पगली कोई , मेरी दोस्त ये कहलाये !!

Wednesday, April 23, 2008

आवाज देना आजाऊंगा !!



जीवन लगे तुझको भंवर , ना कोई संग तनहा सफर !
आवाज देना तब मुझे , संग चलने को आजाऊंगा !!

तेरी तरफ़ हालात है , अपने संग दिन रात है !
सुख की सुनहरी धुप है , मय चांदनी हर रात है !!
जब सुख अँधेरा ओढ़ ले , तेरे अपने भी मुह मोड़ ले !
काली अमावस रात पर, मै दीप बन जल जाऊंगा !!
आवाज देना तब मुझे , संग चलने को आजाऊंगा !!

ये रूप जब तक संग है , चहरे सुनहरा रंग है !
हर कोई तुझ को प्यार दे , दुनिया के ऐसे ढंग है !!
जब रूप ले तुझसे विदा, ना कोई हो तुझ पे फ़िदा !
तेरे हुस्न पे लिख के गजल, हर एक महफ़िल गाऊंगा !!
आवाज देना तब मुझे , संग चलने को आजाऊंगा !!

ना हार ना कोई जीत है, ये प्रेम पावन दीप है !
शर्तो मै जो बंध कर रहे, सौदा है ना वो प्रीत है !!
ये शर्त सारी छोड़ कर, भ्रम हार जीत का तोड़ कर !
गर संग मेरे चल सको, मै राह फूल बिछाऊंगा !!
आवाज देना तब मुझे , संग चलने को आजाऊंगा !!

Friday, April 18, 2008

पश्चिम के सूरज !!



पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !
कुछ पल मे पहुँचो जब पूरब मेरे घर !!

तो पूछेगी माँ है मेरा लाल कैसा , छुकर के पैरों को उंनसे ये कहना !
महसूस करता वही हाथ सिर पे , जो जाते हुए रोते उसने रखा था !
अभी तक जुबान पे वही स्वाद गुड़ का , हाथोँ से जो आखरी चखा था !
कहना बहुत याद करता हूँ उसको !!
ऐ पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !

पिताजी मिलेगें वही चाय पीते , कुछ पल उनके संग बैठ लेना !
महसूस करना छुपी मन मे हलचल , है चिंता मेरी पर जताते नही है !
भरती है आंखे मुझे याद कर के , मगर बोलकर वो बताते नही है !
कहना हूँ अच्छा करें ना यूं चिंता !!
ऐ पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !

मिलेगा बिस्तर मै उन्नीदा भाई , उठा के कहना की दिन चढ़ चला है !
आंगन मे गीले कपड़े सुखाती , हँसके मिलेगी भोली सी बहना !
दोनों लड़े ना मेरे ख़त को लेकर , रखे ध्यान सबका उंनसे ये कहना !
कहना की आऊंगा इस बार जल्दी !!
ऐ पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !

मिल जाए गर चौक पे यार कोई ,मिलना गले और उससे ये कहना !
मिला ना कभी यहाँ दोस्त तुझसा , है महफ़िल यहाँ पर मजा वो नही है !
अकेला हूँ मै ना कोई संग साँथी , बिना यारों के जिंदगी कट रही है !
कहना की आऊंगा महफ़िल सजाने !!
ऐ पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !

आओगे कल तो पुछृँगा तुमसे , कोई घर मिला क्या !
पिताजी है कैसे कहा क्या है माँ ने , उठा था क्या भाई बहाना हँसी क्या !
मिली थी क्या नुक्कड़ पे यारो की महफ़िल , अभी तक है दिल मे यादें बसी क्या !
मिलुंग तुम्हे कल पूरब दिशा मै !!
ऐ पश्चिम से जाते हुए दोस्त सूरज !

Thursday, April 17, 2008

कहते हो क्यों बस मुझे ही दीवाना !!



कहते हो क्यों बस मुझे ही दीवाना, कोई तेरे दिल मे भी आया तो होगा !
रातों की नींदे मेरी चुराई, तुझे भी किसी ने जगाया तो होगा !!

कभी तो मिली होंगी उससे निगाहें , तुझे देख वो मुस्कुराया तो होगा !
कभी नाम लिख कर मेहंदी से उस का, हथेली से अपने मिटाया तो होगा !!

ये दिन कट रहे खयालों मे तेरे , लिए याद तेरी रातें गुजरती !
क्या कहता जमाना इसी को मोहब्बत, तुझे भी किसी ने बताया तो होगा !!

करता हुँ गर तुझसे सपनो मे बातें, मुझको बताओ की ये क्या गुनाह है !
किसी से ख्वाबो मे शर्मा के तुमने, दुप्पटे से मुखड़ा छुपाया तो होगा !!

कहते वो मुझसे उन्हें भूल जाऊँ , न लाब्जो पे उनका कभी नाम लाऊँ !
तड़प कर किसी को पुकारा तो होगा, कोई याद उनको भी आया तो होगा !!

कहते हो क्यों बस मुझे ही दीवाना, कोई तेरे दिल मे भी आया तो होगा !

Friday, April 11, 2008

भैंस से US तक !!



स्वपन मे सोचा न था के इस मूकाँ तक आऊंगा !
जिंदगी की दौड़ मे क्या दो कदम चल पाउँगा !!
पर ये किस्मत लेके आयी गाँव से परदेस तक !
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

आसमाँ मे देखता था जिन जहाजों की उडान !
नापता फिरता हूँ उससे असमा और ये जहान !
पार कर सतो समन्दर, उड़ गया विदेस तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

जिंदगी हर मोड़ पे तू खुशियाँ लेके आयी है !
मांगे बिन ही हर खुशी दामन मै अपने पायी है !
चाहा जब पहुंचा दीया , मुझको हर उद्देश्य तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

कर न पता कुछ भी मै , होता अगर तान्हा सफर !
हाथ थामे गर न चलते, जन्मदाता हर डगर !
कर्ज ये लौटा ना पाऊं प्राण इस तन शेष तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

आँखे भर आती है, जब याद आए खेत की !
बैलो को हांका था , आम्बवा की उस बेंत की !
दौड़ते पग्डन्डीयो पे, लकड़ी के उस चाक की !
रात भर जलके बुझी, हलकी गरम उस राख की !
चूल्हे पे पकती रोटी , हांडी उबलती दाल की !
ठंडी के जलते आलावो मे लकड़ी साल की !
मन वही है चाहे बदले भाषा और भेस तक !
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

Thursday, April 10, 2008

जीत का संशय !!



जीत का संशय हो पर, रुक न चाहे कोई रण हो !
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

गर ये जीवन हो सरल, जीने मै क्या रह जाएगा !
जीत बिन महनत मिले , मन खुश कहा रह पायेगा !
हर्ष मंजिल पाने का जब, कर्म पथ कंटक चरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

जीत का अभिमान ना , हो ना मन दुख हार कर !
हर पराजय सीख लेकर, ख़ुद को फिर तैयार कर !!
मन प्रतिज्ञा विजय भर, मार्ग हर बाधा हरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

म्रत्त्यु हर जीवन को आयी, कोई मानव बच न पाया !
मिट्टी मै मिल जायेंगे सब, कोई संग अमृत न लाया !
मर तू यूँ की संग तेरे, वीर गति का वरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

Saturday, April 5, 2008

नयी प्रीत लिए ये सहर आयी !!



फिर आज खुशी से मन महका, फिर आज ये आंखे भर आयी !
हे रात गयी काली थी जो , नयी प्रीत लिए ये सहर आयी !!

घनघोर घटाए छट सी गयी, चमके सुख का सूरज खुलके !
हे मन से गया तम दूर कही, यू उजला हुआ दर्पण धुलके !
फिर सागर मै खुशियाँ लहरे, भीनी भीनी सी है पुरवाई !!

हर भोर हुई उजली उजली, हर साँझ लगे महकी महकी !
ये दिन पगला सा लगता है, हर रात लगे बहकी बहकी !
है दिवस दिवस उल्लास लिए, पल पल मै है मस्ती छाई !!

ये मन उड़ता पंछी की तरह, इस तन मे जागा जोश नया !
बेहोश था जो बरसों से कही, जीवन को है आया होश नया !
टूटे थे जीवन तार कही, है नयी तरंगे फिर आयी !!
हे रात गयी काली थी जो , नयी प्रीत लिए ये सहर आयी !!

कर ले बाते बैठ जिन्दगी !!



कर ले बाते बैठ जिन्दगी , जाने कल रहे ना रहे !
ले जाए मौत मुझे कब , बातो का वक्त रहे ना रहे !!

कर ले कुछ बाते कल की, बीते हुए हर पल की !
मुस्कुराके मिली जहाँ तू , माँ के उस आंचल की !!
पहले कदम के साथ की , दौड़ते दिन और रात की !
हर मेरे जस्बात की , अच्छे बुरे हालत की !!
हर खुशी जो हमने बांटी , हर दुःख जो साथ सहे !
कर ले बाते बैठ जिन्दगी , जाने कल रहे न रहे !!


देखा मेने तुझको रोते अपनी माँ की आँखों मे !
शेतानी पे मुझ पर उठते उसके के कोमल हाथो मे !!
हाथ पकड़ जो मुझे चलाते बाबुल के दुलार मे !
आंगन की उस लुका छिपी मे, हर जीत और हार मे !!
हँसते यारो के चहरो मे , हर पल मेरे साथ रहे !!
कर ले बाते बैठ जिन्दगी , जाने कल रहे न रहे !!


करे बात कुछ उस पगली की, आयी है मेरे जीवन मे !
खुशियाँ जो लेके आयी है , बिखराने मेरे आंगन मे !!
हंसती है मेरी बातो पे, कभी मचल वो जाती है !
देखु जब मै उस को हँसके , मुझे देख शर्माती है !!
कभी कभी नैना बतियाते, लाब्जो से कुछ भी न कहे !!
कर ले बाते बैठ जिन्दगी , जाने कल रहे न रहे !!