Thursday, November 29, 2007

जब तारे झिलमिल झिलमिल हो !!



जब तारे झिलमिल झिलमिल हो ,वो थाम के मेरा हाथ चले !
मै कहता रहू वो सुनती रहे , बस संग हमारे रात चले !!

भीनी भीनी पुरवाई हो ,ये पवन भी कुछ बोराई हो !
चन्दा भी घटा मे छुप जाये ,जब मुझे देख शरमाई हो !
कभी चुप दोनो फिर नजर मिले ,और आँखों आँखों बात चले !!
बस संग हमारे रात चले !

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले !!



थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले ,
जैसे चाँद के संग चांदनी हर रात चले !
लगे हर रोज सुबह मुझको वो पगली सी,
बने जो मेरी दीवानी हर शाम ढले !

करे मुझ से ही शिकायत मेरी शेतानी पे,
रूठे खुद से खुद की नादानी पे !
हँस के करदे रोशन मेरे दिल का हर कोना,
रहे बेचेन मेरी एक परेशानी पे !
काटू जिंदगी उसकी पलको के तले !

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले !

Monday, November 19, 2007

नयी भोर का आगमन हो रहा है !!




नयी भोर का आगमन हो रहा है ,
अमावस निशा का गमन हो रहा है !
उषा फैली सरिता के अंचल पे फिर से,
अरुण से तम का दमन हो रहा है !
नयी भोर का आगमन हो रहा है !

प्रियंका मै फिर शिशु मुस्कुराते,
अम्बुज सरोवर मै है खिलखिलाते !
लो गूंजी मंदिर मे पीयूष वाणी,
मोती बन ओस कन कुश पे जगमगाते !
है गूंजे नभ मे पूजा के स्वर जब ,
रात्री सन्नाटे का यू पतन हो रहा है !
नयी भोर का आगमन हो रहा है !

फैली मिशा नभ मुख पे ऐसे ,
की शरमाये प्रेयसी प्रियतम से जैसे !
ले रही हे तरंगे सरिता की लहरे ,
अल्हड़ ले अंगडाई मस्ती मे जैसे !
जुर्मुट टीया कराती है कलरव,
भानु - धरा का मिलन हो रहा है !

नयी भोर का आगमन हो रहा है ,
अमावस निशा का गमन हो रहा है !! 

Wednesday, November 14, 2007

शम्मा को जला रखा है !!



बुझती हुई आंखो को एक ख्वाब दिखा रक्खा है ,
इन डूबती सांसो को जस्बात दिखा रखा है !
हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मे इस हम ने शम्मा को जला रक्खा है !

टुटा था दिल हमारा , पलके न फिर भी झलकी,
आंसू हम ने पीना , आंखो को सिखा रक्खा है !

आयेंगे मिलने मुझसे वो कब्ब्र पर भी मेरी ,
रास्तों पे उनके हमने फूलों को बिछा रक्खा है !

कोई तो कहदे उनसे , जस्बाते दिल ये मेरे ,
गमे दर्द हम ने आपनी, नज्मो मै लिखा रक्खा है !

हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मै इस हम ने शम्मा को जला रखा है !!