Wednesday, November 14, 2007

शम्मा को जला रखा है !!



बुझती हुई आंखो को एक ख्वाब दिखा रक्खा है ,
इन डूबती सांसो को जस्बात दिखा रखा है !
हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मे इस हम ने शम्मा को जला रक्खा है !

टुटा था दिल हमारा , पलके न फिर भी झलकी,
आंसू हम ने पीना , आंखो को सिखा रक्खा है !

आयेंगे मिलने मुझसे वो कब्ब्र पर भी मेरी ,
रास्तों पे उनके हमने फूलों को बिछा रक्खा है !

कोई तो कहदे उनसे , जस्बाते दिल ये मेरे ,
गमे दर्द हम ने आपनी, नज्मो मै लिखा रक्खा है !

हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मै इस हम ने शम्मा को जला रखा है !!

1 comment:

priyanka mishra said...

me bhi esi hi shama liye ji rahi hu.
"exxilent poem"