Wednesday, December 10, 2008

प्रथम प्रेम !!


मेरी प्रेरणा मेरी कल्पना , मेरा हर्दय श्रंगार तुम !
मेरे प्रेम रूपी पुष्प पे , सावन की पहली फुहार तुम !!

निर्मल तेरा ये रूप है , तू शीत पावन धुप है !
गंगा पवित्र ये मन तेरा , हर बात तेरी अनूप है !
हर मन प्रफुल्लित हो उठे , शब्दों की वो बोछार तुम !!

आँखों से चंचल हिरणी , तू जब चले तो मोरनी !
मुस्कान मे मोती झरे , मेरा दिल चुराया चोरनी !
मेरी प्रेम परिभाषा हो तुम ,मेरा प्रथम इजहार तुम !!

यादों मे मेरी तुम बसी , हर कल्पना मे तुम रची !
सब ख्वाब तुम से जुड़ गए, धड़कन भी मेरी ना बची !
मन मे बसी तेरी मूरती, पूजा मेरी मेरा प्यार तुम !!

मेरी प्रेरणा मेरी कल्पना , मेरा हर्दय श्रंगार तुम !