Thursday, December 20, 2007

हम पे ये इल्जाम है !!



मेरी आँखों मे तेरा नूर है ,हर साँस मे तेरा नाम है !
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

दिल मे बसा एक नक्श है , आँखों मे तेरा ही अक्स है !
हर राह पर हर मोड़ पर, तुझ सा दिखे हर शख्स है !
जब भी पुकारें हम किसे, आये लब तेरा नाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

तेरा ही अब मै हो गया, तुझ मे कहीं मै खो गया !
खुद का ना मुझ मै कुछ रहा, दिल भी ये मेरा लो गया !
तेरी सुबह मेरी भोर है, तेरी साँझ ही मेरी शाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

तेरी इक झलक की चाह मे , बैठा राहू तेरी राह मे !
जब मुस्कुराके देखे तू , भरता हू ठंडी आह मे !
मेरे रासते सब खो गए, तेरा दर ही मेरा धाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!