Monday, November 8, 2010

प्रभु भावांजलि



सब छोड़ यंही वो चल गए , हमे देकर कई दुआऐं !
मधु यादेँ उनकी साथ लिए, चलो प्रभु गुण हम सब गायेँ !!

वो पंडित महा ग्यानी थे , पर बिलकुल ना अभिमानी थे !
जीवन सादगी लिए हुए , एक सरल सहज कहानी थे !!
ना कभी शोक चहरे पे दिखा, अंतिम पल मे भी मुस्काए !

सब से स्नेह दिखाते थे , प्रेम से पास बिठाते थे !
जब मूश्किल जीवन राह लगी , वो मन उत्साह बढ़ाते थे !!
सब से कहते प्रयास करो , हर मंजिल फिर मिल जाये !

जीवन उनका मुस्कान भरा, हर्दय जिनके था प्रेम भरा !
आशीर वचन उनंके पाकर जीवन है अपना हरा भरा !!
आशीर्वाद से उनंके हर पल कुटुम्भ वृक्ष युँही लहराए !

हमें उनकी कमी सताती है , बाते अश्रु ले आती है !
सुना आंगन सुनी कुर्सी , बस उनकी याद दिलाती है !!
गर पुनर जन्म हो तो इस्वर, उनको फिर इस आंगन लाये !

Sunday, January 17, 2010

विवाह



आंगन में खुशियाँ लहरायेँ, हर मन हो उत्साह !
दो तन जब एक मन हो जायें तब हो पूर्ण विवाह !!

बाजे ढोलक ढोल मंजीरे , बन्ना बन्नी शोर !
बंध जायें दो परिवारों में एक प्रेम की डोर !!
थाम के हाथ चले नव पंछी , नव जीवन की राह !

सात वचन मै दू तुमको, ले हम फेरे सात !
साँथ रहें एक मन होकर हम, शीत ग्रीष्म दिन रात !!
प्रेम हो इतना हम दोनों मे ना हो जिसकी थाह !

धन का कोई लेन देन ना मन का हो बस मोल !
रिश्तों मे ना ऊँच नीच हो प्रेम के हों बस बोल !!
मधुर मेल हो परिवारों का सबकी ये हो चाह !

छोड़ पिता का घर आँगन आयी मेरे परिवार !
मै कर्तव्य तुम्हारे बाँटूँ अपने दूँ अधिकार !!
हर खुशियाँ तुम को दे पाऊँ, सुख से हो जीवन निर्वाह !

दो तन जब एक मन हो जायें तब हो पूर्ण विवाह !!