Friday, May 30, 2008

memorial day !!


ना भूल पाऊँ मै मस्ती के दिन वो चार !
memorial day की छुट्टी बन गयी यादगार !!

मस्ती धूम ह्ल्ला और कई खेल !
रात भर जग के सुबह की रेलम पेल !!

वो बात बात झगड़ा फिर हँसी का दौर !
थोड़ी देर चुप सब फिर बहुत सा शोर !!

अराज भाई solo मे दिखते सब के साँथ !
विवेक भाई भाभी की जोड़ी की क्या बात !!

वो हर जगह बबली का फोटो निकलवाना !
गाड़ी पे झटका खाके वो मेरा गिर जाना !!

दीपाली भाभी का हँसना और हँसाना !
विवेक भाई का हौले से मुस्कुराना !!

अराज भाई तो लगते गुरु style !
बबली के चहरे पे हर दम रहे smile !!

put in bay की बोट cedar point राइड !
आया बहुत मजा देख niagra साइड !!

वो seagals का हर जगह दिख जाना !
और हंस के जोर से see girls चिल्लाना !!

कई दिनों बाद पाया इतना अपनापन !
पाके सब का साँथ झूम उठा मन !!

फिर आए ऐसा दिन मिले सभी यार !
न भूल पाऊँ मै मस्ती के दिन ये चार !!

एक छोटी शुरुवात !!



कट जाये लंबा सफर , एक छोटी शुरुवात तो कर !
बन जाये रिश्ते नए , हँसके तू मुलाकात तो कर !!

खामोशी से सन्नाटा , फिर बनती तन्हाई है !
तन्हाई ना अश्क बने , उससे पहले बात तो कर !!

समझ ना के तू तनहा है , नही चलेगा कोई संग !
थामने को तैयार है हम , अपना आगे हाथ तो कर !!

चाँद को ही बस चाहा है , आये सितारे नजर नही !
प्यार करोगे उनसे भी , चाँद के बिन एक रात तो कर !!

झूटी जीत की चाह मे , सच्चे रिश्ते मरते गए !
सारा जग फिर अपना बने , दिल की तू मात तो कर !!

खुशी तेरे आंगन मे होगी , दरवाजे तो खोल जरा !
बाहर आ तू खिड़की से , ऐसे कुछ हालात तो कर !!

डरा तो फिर ना बड़ पायेगा , हार रहेगी दामन मे !
जीत का सहरा पाना है , बधाओं पे घात तो कर !!

जँहान बना दें !!



क्यों चाहें एक फूल गुलिस्तान बना दें !
हर चहरा मुस्कुराये वो जँहान बना दें !!

मिल जाए क्या तुझको गर बन गया खुदा !
संग आ मेरे कुछ लोगों को इंसान बना दें !!

मारने से आदमी ना खत्म हो बूरा !
जड़ मिटाए जो सैतान बना दें !!

करने जो उजाला छत तोड़ने चले !
घर उनकी दीवारों पे रोशनदान बना दें !!

कुछ लोग यहाँ अच्छे बस्ती ना तू जला !
बंद करदे वो दूकान जो हैवान बना दें !!

अश्कों से मिटा दे थोड़ी तो उनकी प्यास !
हैवानियत ना उनको बेजान बना दें !!

आ करदे एक मजहब इंसानियत हो नाम !
इस इश्क को सबका भगवान् बना दें !!

ये प्रेम ढाई आखर गीता मे एक रख !
बाकी जो डेड़ बचता कूरान बना दें !!

Saturday, May 17, 2008

चले गये तुम !!



चल गये तुम देकर , थोड़े आँसु कुछ यादेँ !
कौन करेगा पूरे बोलो , किए हुए तेरे वादे !!


हमने रोका तुम भी रुकते , पर कुछ यूं हालात बने !
विदा हुए हम देखते रहे , राख मे तेरी हाथ सने !!
चिता मे तेरे साँथ जल गयी , तेरी हँसी तेरी बातें !
कौन सुनाएगा वो किस्से , जिनसे कटती थी राते !!
कौन करे फरमाइश पुरी , जो मांगू तू वो लादे !


चले गए तब ज्ञात हुआ , अपना खोना क्या होता है !
याद मे तेरी साथ मेरे , घर आंगन भी रोता है !!
वही आंगन ढूँडते थे तुम , मै कहीँ छुप जाता था !
कईँ सवाल पूछोगे ये , सोच नजर चुराता था !!
बड़े जटिल लगते थे , प्रश्न तेरे सीधे सादे !


लौट के ना आओगे तुम , इस मन को समझाता हूँ !
पर तेरी यादों की दस्तक , हर कोने मे पाता हूँ !!
माना अब हमने तेरे बिन , मुस्कुराना सिख लिया !
वक्त के साथ अकेले ही , कदम मिलाना सिख लिया !!
अगले जनम तुमको इश्वर , फिर हमसे ही मिलवादे !

आदम नसल !!



हो गया सब एक सा कुछ तो बदल !
जिंदगी मे साँथ हूँ तू कर पहल !!


है भरम लगता उसे सब कुछ नया !
आदमी बदला नही कपड़े बदल !!


प्यार से बढ़्कर बहुत से काम है !
इस्क मे अंधे है वो पर तू सम्भल !!


जीत पे मुस्कान उसकी देखने !
हारता हूँ रोज उल्टी चाल चल !!


बोल ना पाया कभी जब हाले दिल !
लिख दी तेरे नाम मैने एक गजल !!


मिट ही जाता वो अगर चुकता ना कर्ज !
शुक्र है इस बार थी अच्छी फसल !!


मिल गयी धरती तो चाहे आसमा !
खत्म ना हो चाह ये आदम नसल !!

डगर !!



ए डगर तू साथ मेरे क्यों ना चलती है !
दौड़ कर मै आऊँ तू आगे निकलती है !!


कर रहा दीदार जब महसूस उसको हो !
बाँध कर जुड़ा खुला वो संभलती है !!


आ बदल दे आज इस आंधी का रुख !
रोज मेरे गाँव से ही ये निकलती है !!


होगा कुछ मीठा पानी समन्दर का !
सोंच कर ये रोज वो गागर बदलती है !!


काम है बाकि बहुत जल्दी से निपटा लें !
जिंदगी ये रेत सी मुट्ठी फिसलती है !!


कहते जो पत्थर उन्हे आके अब देखो !
मेरे एक अश्क से भी वो पिघलती है !!


तोड़कर कल ला दिये तारे बहुत !
चाँद लादूँ अब उसे जिद पे मचलती है !!

Tuesday, May 13, 2008

मन !!



ना मिली हो तुम मगर , उम्मीद पे जीता है मन !
टूट कर बिखरे सितारे , असमाँ सिता है मन !!

न हो तुम फिर भी तुम्हारे , होने का अहसास है !
पर रहोगी साथ एक दिन , ये मेरा आभास है !!
तुम रहोगी सोच कर , अब तलक रीता है मन !
ना मिली हो तुम मगर , उम्मीद पे जीता है मन !

तुम मेरी सच्चाई हो या , तुम हो मेरी कल्पना !
ख्वाब का सच या कोई , सच भरा सपना बुना !!
सोच रातों करवटें ले , आँखों मे बीता है मन !
ना मिली हो तुम मगर , उम्मीद पे जीता है मन !

आयेगी वो शाम भी जब , मेरे आंगन आओगी !
ख्वाब मे देखे मेरे , अरमान सच कर जाओगी !!
पोछोगी ये अश्क जो , चुपचाप ही पीता है मन !!
ना मिली हो तुम मगर , उम्मीद पे जीता है मन !

मेरे साथ चलो !!



भटका हूँ ना मुझै , है रासतों का डर !
मंजिल तुम्हे पाना है, मेरे साथ चलो !!

कांटो से भरी राह , तुम चल न सकोगे !
पथ फूल बिछाना है , मेरे साथ चलो !!

देखे थे जो सपने , हकीकत वो बन गए !
नये ख्वाब सजाना है , मेरे साथ चलो !!

मंजिल पे है निगाह , ये हौंसले बुलंद !
अमृत का तराना है , मेरे साथ चलो !!

कर लूँ सफर मै तनहा, पर तुम चलो तो अच्छा !
एक और बहाना है , मेरे साथ चलो !!

टूट कर गिरे कल , बिखरे जमी सितारे !
फिर छत पे लगना है, मेरे साथ चलो !!

कल रात चांदनी की , चन्दा से हुई अनबन !
रुठी वो मनाना है , मेरे साथ चलो !!

धोके है बड़े कितने , फरेब भरे है !
रंग बदले जमाना है , मेरे साथ चलो !!

न बैठ मन दुखी , देख शिखर ऊँचे !
पर्वत शिखा पाना है , मेरे साथ चलो !!

अब उठ तू न अलसा , सूरज भी चढ़ चला !
लंबा हमे जाना है , मेरे साथ चलो !!

Monday, May 12, 2008

मै चुप हूँ !!



हूँ चुप तो ये नही समझो , कुछ मै कह नही सकता !
तुम्हारे शब्द रूपी बाणों को , मै सह नही सकता !!
ना समझो है नही मुझको , तुम्हारे शब्दों का ज्ञान !
हूँ चुप मै इसी मे है , तुम्हारा और मेरा मान !!

सुना कर शब्द कटु कुछ , मै तुमसे जीत भी जाऊँ !
दिखा कर क्रोध अपना , तुम को मै भयभीत भी पाऊँ !!
मगर संस्कारों की सीमा है , मर्यादा का है भान !
हूँ चुप मै इसी मे है , तुम्हारा और मेरा मान !!

बहुत छोटी सी ये बात , फिर कुछ उग्र हो जाए !
अभी जो शांत है एक दूजे पे , हम रुद्र हो जाए !
खो जाएगा प्रेम , बस टकरायेंगे अभीमान !!
हूँ चुप मै इसी मे है , तुम्हारा और मेरा मान !!

रहूंगा मौन मै फिर भी , कहो कायर पराजित तुम !
न चाहू वो विजय जिसमे हो , रिश्तों की गर्मी गुम !!
झूटी जीत से प्यारा , अपने रिश्ते का सम्मान !
हूँ चुप मै इसी मे है , तुम्हारा और मेरा मान !!

Thursday, May 8, 2008

रब बदला !!



न हम बदले न तुम बदले, मगर लगता है सब बदला !
ख़बर ना हम को लग पाई , जहाँ ये जाने कब बदला !!

थी बस ये आरजू दामन मेरे , दो चार खुशीयाँ हो !
हे मेरी हर दुआ जायज, मगर लगता है रब बदला !!

बहुत गुजरे तमन्ना ले , की एक दीदार तेरा हो !
न आए तुम कभी दर पे , तो रस्ता हमने अब बदला !!

मैं चलता कुछ कदम तो ओर , पर ऐसी लगी ठोकर !
करू क्या बात गैरों की , के रंग अपनों ने जब बदला !!

न मझधारो पे मै हारा , मगर डूबा किनारे पे !
नजर आया ही था साहिल, हवाए रुख के तब बदला !!

कभी हर दिल मे जीता था , के हर चहरे पे हँसता था !
हुआ विरान मरघट सा , शहर ये जाने कब बदला !!

न हम बदले न तुम बदले, मगर लगता है सब बदला !

Thursday, May 1, 2008

तुम आए ना ख़त कोई !!



राह तकी सूरज सर तक , हर आहट आंगन दौड़ गयी !
आस लगी आओगे पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !!

रोली हल्दी थाल सजायी , घीसा चंदन बाती बनाईं !
आओ द्वार आरती उतारू , भर घी दीपक जोत जलाई !!
माथे तिलक लगाती पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !

लीपा आंगन ओटली धोली , दरवाजे मांडी रंगोली !
थके तेरे पैरो पे लगाने , थोडी सी महंदी भी घोली !!
अपने हाथ लगाती पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !

तेरी पसंद की साग बनाईं , जूने चावल खीर पकाई !
आते गरम पूरी तल देती , जला के चूल्हा रखी कडा़ई !!
अपने हाथ खिलाती पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !

पीपल नीचे खाट लगाई , ढीली निमार कल कसवाई !
थक कर लेटोगे कुछ पल , हाथ बुनी दरी बिछाई !!
आंचल हवा झिलाती पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !

हर दिन यूं ही राह तकी , बरस गए पर आस बची !
अंत साँस तक इन्तजार मे , पीपल नीचे खाट रखी !!
आज हुई दरवाजे दस्तक , तुम आए पर मै सोई !

आस लगी आओगे पर , ना तुम आए ना ख़त कोई !!