Thursday, October 18, 2007

मै क्या , मेरा पारिचय क्या!



मै क्या , मेरा परिचय क्या!
जीवन हे स्वरलहरी मेरा, कोई भिन्न मुझसे लय क्या !!
मै क्या , मेरा पारिचय क्या!

घुल जाऊ रेवा लहरों मे , शाम सहर और पहरों मे,
धुप छाव अठखेली मे , माँ कि झोली मैली मे,
छा जाऊ गर हर मन पे, फिर जिव मरण का अभिनय क्या !!
मै क्या , मेरा परिचय क्या !

कर्म यग्य आहुति बन, परमाथ जीवन अर्पण,
सत्य पथ अग्रसर हो , तन मन का करदू तरपन,
हर मन प्रगति दीप जले तो, जिव जगत मे तम भय क्या !!
मै क्या , मेरा पारिचय क्या!