हो गया सब एक सा कुछ तो बदल !
जिंदगी मे साँथ हूँ तू कर पहल !!
है भरम लगता उसे सब कुछ नया !
आदमी बदला नही कपड़े बदल !!
प्यार से बढ़्कर बहुत से काम है !
इस्क मे अंधे है वो पर तू सम्भल !!
जीत पे मुस्कान उसकी देखने !
हारता हूँ रोज उल्टी चाल चल !!
बोल ना पाया कभी जब हाले दिल !
लिख दी तेरे नाम मैने एक गजल !!
मिट ही जाता वो अगर चुकता ना कर्ज !
शुक्र है इस बार थी अच्छी फसल !!
मिल गयी धरती तो चाहे आसमा !
खत्म ना हो चाह ये आदम नसल !!
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