Sunday, January 17, 2010

विवाह



आंगन में खुशियाँ लहरायेँ, हर मन हो उत्साह !
दो तन जब एक मन हो जायें तब हो पूर्ण विवाह !!

बाजे ढोलक ढोल मंजीरे , बन्ना बन्नी शोर !
बंध जायें दो परिवारों में एक प्रेम की डोर !!
थाम के हाथ चले नव पंछी , नव जीवन की राह !

सात वचन मै दू तुमको, ले हम फेरे सात !
साँथ रहें एक मन होकर हम, शीत ग्रीष्म दिन रात !!
प्रेम हो इतना हम दोनों मे ना हो जिसकी थाह !

धन का कोई लेन देन ना मन का हो बस मोल !
रिश्तों मे ना ऊँच नीच हो प्रेम के हों बस बोल !!
मधुर मेल हो परिवारों का सबकी ये हो चाह !

छोड़ पिता का घर आँगन आयी मेरे परिवार !
मै कर्तव्य तुम्हारे बाँटूँ अपने दूँ अधिकार !!
हर खुशियाँ तुम को दे पाऊँ, सुख से हो जीवन निर्वाह !

दो तन जब एक मन हो जायें तब हो पूर्ण विवाह !!

1 comment:

12sdsds said...

hout sahiii ..tiwari ji.. shaandaar rachna