Thursday, April 10, 2008

जीत का संशय !!



जीत का संशय हो पर, रुक न चाहे कोई रण हो !
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

गर ये जीवन हो सरल, जीने मै क्या रह जाएगा !
जीत बिन महनत मिले , मन खुश कहा रह पायेगा !
हर्ष मंजिल पाने का जब, कर्म पथ कंटक चरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

जीत का अभिमान ना , हो ना मन दुख हार कर !
हर पराजय सीख लेकर, ख़ुद को फिर तैयार कर !!
मन प्रतिज्ञा विजय भर, मार्ग हर बाधा हरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

म्रत्त्यु हर जीवन को आयी, कोई मानव बच न पाया !
मिट्टी मै मिल जायेंगे सब, कोई संग अमृत न लाया !
मर तू यूँ की संग तेरे, वीर गति का वरण हो !!
युद्ध कर तन प्राण जब तक, फिर विजय या मरण हो !!

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