Friday, April 11, 2008

भैंस से US तक !!



स्वपन मे सोचा न था के इस मूकाँ तक आऊंगा !
जिंदगी की दौड़ मे क्या दो कदम चल पाउँगा !!
पर ये किस्मत लेके आयी गाँव से परदेस तक !
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

आसमाँ मे देखता था जिन जहाजों की उडान !
नापता फिरता हूँ उससे असमा और ये जहान !
पार कर सतो समन्दर, उड़ गया विदेस तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

जिंदगी हर मोड़ पे तू खुशियाँ लेके आयी है !
मांगे बिन ही हर खुशी दामन मै अपने पायी है !
चाहा जब पहुंचा दीया , मुझको हर उद्देश्य तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

कर न पता कुछ भी मै , होता अगर तान्हा सफर !
हाथ थामे गर न चलते, जन्मदाता हर डगर !
कर्ज ये लौटा ना पाऊं प्राण इस तन शेष तक !!
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

आँखे भर आती है, जब याद आए खेत की !
बैलो को हांका था , आम्बवा की उस बेंत की !
दौड़ते पग्डन्डीयो पे, लकड़ी के उस चाक की !
रात भर जलके बुझी, हलकी गरम उस राख की !
चूल्हे पे पकती रोटी , हांडी उबलती दाल की !
ठंडी के जलते आलावो मे लकड़ी साल की !
मन वही है चाहे बदले भाषा और भेस तक !
आ गया मै चलते चलते भैंस से US तक !!

2 comments:

Anonymous said...

Rinku,

Some how for me, this one happened to be your best creation.

- Its complete, realistic, fabulous.
- Words are weaved beautifully.
- Can be realized best by people (like me) who know you and your brought up from Birth...

Ek afsos jarur hai... Tune apni Itni Khubsurat pratibhaa ko itini deri say ujaagar kiyaa....

Anyways better late than never....

Keep writing and all the best...

Vipul

priyanka mishra said...

jivan ke safar ko itne realisti way me shayad hi koi bata pae.
"its really amaging".