Thursday, December 20, 2007

हम पे ये इल्जाम है !!



मेरी आँखों मे तेरा नूर है ,हर साँस मे तेरा नाम है !
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

दिल मे बसा एक नक्श है , आँखों मे तेरा ही अक्स है !
हर राह पर हर मोड़ पर, तुझ सा दिखे हर शख्स है !
जब भी पुकारें हम किसे, आये लब तेरा नाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

तेरा ही अब मै हो गया, तुझ मे कहीं मै खो गया !
खुद का ना मुझ मै कुछ रहा, दिल भी ये मेरा लो गया !
तेरी सुबह मेरी भोर है, तेरी साँझ ही मेरी शाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

तेरी इक झलक की चाह मे , बैठा राहू तेरी राह मे !
जब मुस्कुराके देखे तू , भरता हू ठंडी आह मे !
मेरे रासते सब खो गए, तेरा दर ही मेरा धाम है !!
गर ये ही है इश्के गुनाह, तो हम पे ये इल्जाम है !!

Thursday, November 29, 2007

जब तारे झिलमिल झिलमिल हो !!



जब तारे झिलमिल झिलमिल हो ,वो थाम के मेरा हाथ चले !
मै कहता रहू वो सुनती रहे , बस संग हमारे रात चले !!

भीनी भीनी पुरवाई हो ,ये पवन भी कुछ बोराई हो !
चन्दा भी घटा मे छुप जाये ,जब मुझे देख शरमाई हो !
कभी चुप दोनो फिर नजर मिले ,और आँखों आँखों बात चले !!
बस संग हमारे रात चले !

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले !!



थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले ,
जैसे चाँद के संग चांदनी हर रात चले !
लगे हर रोज सुबह मुझको वो पगली सी,
बने जो मेरी दीवानी हर शाम ढले !

करे मुझ से ही शिकायत मेरी शेतानी पे,
रूठे खुद से खुद की नादानी पे !
हँस के करदे रोशन मेरे दिल का हर कोना,
रहे बेचेन मेरी एक परेशानी पे !
काटू जिंदगी उसकी पलको के तले !

थाम के हाथ मेरा जिन्दगी भर साथ चले !

Monday, November 19, 2007

नयी भोर का आगमन हो रहा है !!




नयी भोर का आगमन हो रहा है ,
अमावस निशा का गमन हो रहा है !
उषा फैली सरिता के अंचल पे फिर से,
अरुण से तम का दमन हो रहा है !
नयी भोर का आगमन हो रहा है !

प्रियंका मै फिर शिशु मुस्कुराते,
अम्बुज सरोवर मै है खिलखिलाते !
लो गूंजी मंदिर मे पीयूष वाणी,
मोती बन ओस कन कुश पे जगमगाते !
है गूंजे नभ मे पूजा के स्वर जब ,
रात्री सन्नाटे का यू पतन हो रहा है !
नयी भोर का आगमन हो रहा है !

फैली मिशा नभ मुख पे ऐसे ,
की शरमाये प्रेयसी प्रियतम से जैसे !
ले रही हे तरंगे सरिता की लहरे ,
अल्हड़ ले अंगडाई मस्ती मे जैसे !
जुर्मुट टीया कराती है कलरव,
भानु - धरा का मिलन हो रहा है !

नयी भोर का आगमन हो रहा है ,
अमावस निशा का गमन हो रहा है !! 

Wednesday, November 14, 2007

शम्मा को जला रखा है !!



बुझती हुई आंखो को एक ख्वाब दिखा रक्खा है ,
इन डूबती सांसो को जस्बात दिखा रखा है !
हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मे इस हम ने शम्मा को जला रक्खा है !

टुटा था दिल हमारा , पलके न फिर भी झलकी,
आंसू हम ने पीना , आंखो को सिखा रक्खा है !

आयेंगे मिलने मुझसे वो कब्ब्र पर भी मेरी ,
रास्तों पे उनके हमने फूलों को बिछा रक्खा है !

कोई तो कहदे उनसे , जस्बाते दिल ये मेरे ,
गमे दर्द हम ने आपनी, नज्मो मै लिखा रक्खा है !

हो जाये दीदारे इश्क खाक होने से पहले ,
उम्मीद मै इस हम ने शम्मा को जला रखा है !!

Thursday, October 18, 2007

मै क्या , मेरा पारिचय क्या!



मै क्या , मेरा परिचय क्या!
जीवन हे स्वरलहरी मेरा, कोई भिन्न मुझसे लय क्या !!
मै क्या , मेरा पारिचय क्या!

घुल जाऊ रेवा लहरों मे , शाम सहर और पहरों मे,
धुप छाव अठखेली मे , माँ कि झोली मैली मे,
छा जाऊ गर हर मन पे, फिर जिव मरण का अभिनय क्या !!
मै क्या , मेरा परिचय क्या !

कर्म यग्य आहुति बन, परमाथ जीवन अर्पण,
सत्य पथ अग्रसर हो , तन मन का करदू तरपन,
हर मन प्रगति दीप जले तो, जिव जगत मे तम भय क्या !!
मै क्या , मेरा पारिचय क्या!

Wednesday, September 26, 2007

तू सारी खुशीयॉ पा जाये !!



हर दिन शुभ हर शाम सुनहरी, रात पूर्णिमा छा जाये !
हाथ उठा जो मांगे तू वो , सारी खुशीयॉ पा जाये !!


हर रस्ता आसान हो तेरा ,पग पग तेरे फूल पटे !
कदम रखे जिस पथ पे तू, उस पथ के कंटक दूर हटे !!
दूर हटे हर मुश्किल तुझ से, मंजिल पे तू आ जाये !
हाथ उठा जो मांगे तू वो , सारी खुशीयॉ पा जाये !!


खुशीयॉ तेरे आस पास हो , गम का नमो निशॉ ना हो !
सुख कि बस्ती मन मे हो , दुःख कहि भी बसा ना हो !!
हँसी खुशी कि बरखा बरसे , दर्द के बदल ना छाये !
हाथ उठा जो मांगे तू वो , सारी खुशीयॉ पा जाये !!

Sunday, September 2, 2007

क्या लाया क्या ले जाऊंगा !!



क्या लाया क्या ले जाऊंगा, बस मिट्टी मै रह जाऊंगा !
संग बिताये लम्हों कि पर, भीनी खुशबू दे जाऊंगा !!

संग बिताई सारी राते , लब चुप चुप बस कहती आंखे !
इन् आँखों कि भाषा मै ही, अपनी हसरत कह जाऊंगा !!
बस मिट्टी मै रह जाऊंगा !

तेडे मेडे तट के रस्ते , साथ चले है जिन पे हसते !
कदम मिला फिर चल ना सका तो , संग नदी बन बह जाऊंगा !!
बस मिट्टी मै रह जाऊंगा !

संग मिली है सारी खुशींया, साथ उठाये थे सारे गम !
अब दे सारी खुशींया तुझ को, सब गम खुद ही सह जाऊंगा॥
बस मिट्टी मै रह जाऊंगा !

क्या लाया क्या ले जाऊंगा, बस मिट्टी मै रह जाऊंगा !
संग बिताये लम्हों कि पर, भीनी खुशबू दे जाऊंगा !!

Monday, July 16, 2007

लौट आया हु मै इन पग्डन्डीयो पर !!



छोड़कर सडको को पक्की आज फिर से !
लौट आया हु मै इन पग्डन्डीयो पर !!

थे जन्हा सीखे नह्ने पैर चलना !
देखकर सूरज उगता आंख मलना !!
फिर उन्ही सुबहों का सलाम लेने !
लौट आया हु मै इन पग्डन्डीयो पर !!

झूठ और फरेब के उस शहर से !
कलि रातों और उन धुंधली सहर से !!
पाने को अपना फिर इमान खोया !
लौट आया हु मै इन पग्डन्डीयो पर !!

जिन्दगी कि दौड़ मे दिल कितने टूटे !
पाने मे शोहरत सभी अपने थे छुटे !!
हाथ फिर अपनो के छुटे थमने को !
लौट आया हु मै इन पग्डन्डीयो पर !!

Friday, May 25, 2007

जिन्दगी कि दौड़ !!


दिन भी मेरे रात से तन्हा यहा है !
फर्क इतना है कि सन्नाटे नही है !!

गूंजती है हर तरफ आवाज लेकिन !
दिल को छुले वो याहाँ बाते नही है !!

दिखते है हर रोज कितने ही चहरे !
पर नजर अपने कोई आते नही है !!

जमती है हर शाम कितनी ही महफ़िल !
दोस्तो कि वो मुलाकते नही है !!

खो गए है दिन मेरे अब सुकू के !
चेन से सोता था वो राते नही है !!

जिन्दगी कि दौड़ मे आगे हु इतना !
लोटतै रस्ते नजर आते नही है !!
फर्क इतना है कि सन्नाटे नही है !!!!