Friday, November 7, 2008

एक तन्हा मन



एक भोला मन प्यारी आँखे जाने किसको ढूंड रही !
देखे सपने जाने किसके जाग जाग के रात कईँ !!

है नादाँ सी कभी कभी , और भोली लगती हर दम है !
पर मन मे तूफान भरा है , पड़ती किसी से ना कम है !
करना है दुनिया को बस मे , सीखना है हर बात नयी !!
देखे सपने जाने किसके जाग जाग के रात कईँ !!

मुस्काता सा चहरा इसका , आंखे झील समाई है !
हे मन से भी सुंदर उतनी , ये परी जमी पे आई है !
शब्द ख़तम हो पर बचजाये , इसकी खूबी कई कई !!
देखे सपने जाने किसके जाग जाग के रात कईँ !!

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