Monday, September 22, 2008

मोहब्बत !!



मोहब्बत क्या है ये अब तक मै जान ना पाया !
कही दीवानगी कभी पागलपन है बतलाया !!

कोई कहता मोहब्बत नाम हर दम साँथ रहने का !
जो बाँटे हर खुशी मिलके हर गम साँथ सहने का !!
चले हर राह तेरे साँथ जैसे हो तेरा सायाँ !

मोहब्बत क्या लैला और मजनू की कहानी मे !
या मुमताज की यादों भरी इस निशानी मे !!
के है जो हीर और रांझे के किस्सों मे पाया !

मोहब्बत नाम अपने प्यार पर सब कुछ लुटाने का !
ना हो अफ़सोस खातिर यार के सब कुछ गवाने का !!
रहे वो दूर जितना और मन के पास ही आया !

ये वो अहसास जो रिश्तों मे बंध कर रह नही सकता !
करे महसूस ना कोई ख़ुद है क्या कह नही सकता !!
समझ आया न बिन जाने ज़माने भर ने समझाया !

1 comment:

Anonymous said...

ab thoda bhaut jan gaye hoge aap................