Wednesday, August 6, 2008

कवीता !!



तुम हो मेरा प्रेम कवीता मै कवि प्रियतम तेरा !
मेरी कल्पना से तुम हो , तेरा ही ह्रदय बसेरा !!

खुश होता तो तुमको लिखता फूल क्यारी बगिया !
दुःख मे आंखे नम होती, तुम होती अश्रु नदिया !!
मन मस्ती मे हो चंचल , तुम बनती पंछी डेरा !

जब अपनों से दूर रहा तुझमे ही याद बसाई है !
चुप रहकर भी तेरे जरिये अपनी बात सुनाई है !!
तुम संग तन्हा रात लिखी , यादों से भरा सवेरा !

तुझमे बचपन की पगडन्डी , जीवन के संघर्ष लिखे !
गोद मे सर रखकर सहलाते माँ के वो स्पर्श लिखे !!
ख्वाबों मे उस परी का चलना हाथ थाम कर मेरा !

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