तुम हो मेरा प्रेम कवीता मै कवि प्रियतम तेरा !
मेरी कल्पना से तुम हो , तेरा ही ह्रदय बसेरा !!
खुश होता तो तुमको लिखता फूल क्यारी बगिया !
दुःख मे आंखे नम होती, तुम होती अश्रु नदिया !!
मन मस्ती मे हो चंचल , तुम बनती पंछी डेरा !
जब अपनों से दूर रहा तुझमे ही याद बसाई है !
चुप रहकर भी तेरे जरिये अपनी बात सुनाई है !!
तुम संग तन्हा रात लिखी , यादों से भरा सवेरा !
तुझमे बचपन की पगडन्डी , जीवन के संघर्ष लिखे !
गोद मे सर रखकर सहलाते माँ के वो स्पर्श लिखे !!
ख्वाबों मे उस परी का चलना हाथ थाम कर मेरा !
मेरी कल्पना से तुम हो , तेरा ही ह्रदय बसेरा !!
खुश होता तो तुमको लिखता फूल क्यारी बगिया !
दुःख मे आंखे नम होती, तुम होती अश्रु नदिया !!
मन मस्ती मे हो चंचल , तुम बनती पंछी डेरा !
जब अपनों से दूर रहा तुझमे ही याद बसाई है !
चुप रहकर भी तेरे जरिये अपनी बात सुनाई है !!
तुम संग तन्हा रात लिखी , यादों से भरा सवेरा !
तुझमे बचपन की पगडन्डी , जीवन के संघर्ष लिखे !
गोद मे सर रखकर सहलाते माँ के वो स्पर्श लिखे !!
ख्वाबों मे उस परी का चलना हाथ थाम कर मेरा !
No comments:
Post a Comment