अबके बरस भी गर ना बरसी मै मर जाउँगा !
अपने बच्चों को भूखा देख ना पाउँगा !!
हर बरस आस मे तेरी करता रहा बुआई !
तेरे बिन प्यासी फसलें आस लिए मुरझाई !!
जम के तुम एक बार तो बरसो मै तर जाऊँगा !
मन दुःख के बादल उमड़े आसमान है खाली !
आँखों से सावन बरसे बरखा ना आने वाली !!
गर तुम खेत भिगो ना पाई, मै माटी मिल जाऊंगा !!
पिछला कर्ज चुकाने मे गिरवी रखी जमीन !
आई ना इस बार फसल हो जाऊँ खेत विहीन !!
अन्न था जो घर सब बो डाला अब क्या खाऊँगा !!
भूख से बच्चे मुरझाये भागवान है चिंतित !
इश्वर को दया न आये पिघले नही है किंचित !!
लगता सब को लेकर भगवन पास तुम्हारे आऊंगा !!
अपने बच्चों को भूखा देख ना पाउँगा !!
हर बरस आस मे तेरी करता रहा बुआई !
तेरे बिन प्यासी फसलें आस लिए मुरझाई !!
जम के तुम एक बार तो बरसो मै तर जाऊँगा !
मन दुःख के बादल उमड़े आसमान है खाली !
आँखों से सावन बरसे बरखा ना आने वाली !!
गर तुम खेत भिगो ना पाई, मै माटी मिल जाऊंगा !!
पिछला कर्ज चुकाने मे गिरवी रखी जमीन !
आई ना इस बार फसल हो जाऊँ खेत विहीन !!
अन्न था जो घर सब बो डाला अब क्या खाऊँगा !!
भूख से बच्चे मुरझाये भागवान है चिंतित !
इश्वर को दया न आये पिघले नही है किंचित !!
लगता सब को लेकर भगवन पास तुम्हारे आऊंगा !!
3 comments:
ye bhout acchi kavita hai .. piyush tum bhavo ki shabdo me acche se daal paate hao.. aur ek accha sa laya barkarar rakh paate ho..
Chote..ye sahi lagi apne ko...good one.
dard ko bayan karne ka andaz pasand aya.so heart touching.
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