Monday, September 22, 2008

अब घर जाना है !!



बहुत हुआ अब घर जाना है !
खोये अपने उन सपनों को पाना है !!

छुटे हाथ झलकती आँखे, सिसकी भर भर चलती सांसे !
पोंछने फिर पलक के आंसू, अपने हाथ बड़ाना है !!

छोड़ी गलियाँ वो चौपाले, छत पे मंडली डेरा डाले !
शाम सुनहरी फिर करदे वो, महफ़िल यार सजाना है !!

प्यार से मिलते संगी साँथी, सिर्फ़ प्रेम की भाषा आती !
बोल जो मीठे भूल चुका मै, फिर होंठो पे लाना है !!

वक्त नही अपनों के खातिर, समय चाल समझा ना शातिर !
पास रहे जो बचे हुए पल, अपनों संग बीताना है !!

सब कुछ है पर मन है खाली, बेरंग होली सूनी दीवाली !
अबके दीवाली दीप जलाऊँ, होली रंग उड़ाना है !!

फ़िर अपनों के संग रहूँगा, मन का हर एक दर्द कहूँगा !
मिला नही बरसों से जो, खोया प्यार पाना है !!

मेरे संग गुनगुनाओ !!



तुम मेरे संग गुनगुनाओ तो कोई बात बने !
थोड़ा खुलकर के मुस्कुराओ तो कोई बात बने !!

रोज मिलते हो गले यारों से !
हाथ दुश्मन से मिलाओ तो कोई बात बने !!

जलते हर शाम मंदिरो मे दिये !
एक घर रौशनी लाओ तो कोई बात बने !!

तेरी बातों पे मुस्कूरादे ये जग चाहे !
किसी रोते को हंसाओ तो कोई बात बने !!

न सँकू मिलता उठ ऊँचा असमानों तक !
किसी गिरते को उठाओ तो कोई बात बने !!

है चार पल की जिंदगी ना रोके बीता !
हर पल हंसके बिताओ तो कोई बात बने !!

सारी दौलत लूटा के ना मिले प्यार कहीं !
दिल ये अपना तुम लुटाओ तो कोई बात बने !!

मोहब्बत !!



मोहब्बत क्या है ये अब तक मै जान ना पाया !
कही दीवानगी कभी पागलपन है बतलाया !!

कोई कहता मोहब्बत नाम हर दम साँथ रहने का !
जो बाँटे हर खुशी मिलके हर गम साँथ सहने का !!
चले हर राह तेरे साँथ जैसे हो तेरा सायाँ !

मोहब्बत क्या लैला और मजनू की कहानी मे !
या मुमताज की यादों भरी इस निशानी मे !!
के है जो हीर और रांझे के किस्सों मे पाया !

मोहब्बत नाम अपने प्यार पर सब कुछ लुटाने का !
ना हो अफ़सोस खातिर यार के सब कुछ गवाने का !!
रहे वो दूर जितना और मन के पास ही आया !

ये वो अहसास जो रिश्तों मे बंध कर रह नही सकता !
करे महसूस ना कोई ख़ुद है क्या कह नही सकता !!
समझ आया न बिन जाने ज़माने भर ने समझाया !