Monday, June 2, 2008

बम विस्फोट हुआ !!



शाम सुनहरी हँसते चहरे , कहीँ आरती अजान दुआ !
लौट रहे थे पंछी घर को , सूरज पश्चिम ओंट हुआ !!
उभरे तब आतंकी चहरे , दन से बम विस्फोट हुआ !
बिखरी चिथडों मे लाशें , फैला रक्त रुदन धुआँ !!

कुछ पल फैला सन्नाटा , फिर दशों दीशा चीत्कार उठी !
देख नजारा दहशत का , हर नयन अश्रु बौछार उठी !!
बहा लहू पानी सा , कदम कदम पे लाश पड़ी !
खैल घिनौना खेल यहाँ , अभिमानित सी मौत खड़ी !!
कुछ वह्सी लोगों मे फिर , मानव बस एक नोट हुआ !
उभरे कुछ आतंकी चहरे , दन से बम विस्फोट हुआ !!

बचे हुए जब संभले भागे , जो घायल उन्हें बचाने को !
बीछडे भगदड़ मे परिजन , मृत या जीवीत मिलाने को !!
उड़ा कहीँ पैर किसी का , खो गयी कहीँ नयन ज्योति !
सन्नाटा कानो ने ओड़ा , दूर कही वाणी लौटी !!
घाव लिए हिचकी भर रोता , जीवन मन चोट हुआ !
उभरे कुछ आतंकी चहरे , दन से बम विस्फोट हुआ !!

ढूंड रहे खोया जो अपना , घायलों के डेरो मे !
मिला नही जब जीवीत ढूंडे , लाशों के ढेरों मे !!
कही किसी का लाल मिला , कही मिला घायल भाई !
कुछ लोगो की किस्मत ना, मृत परिजन देह आयी !!
कोई म्रत्यु वरन हुआ , कोई जीवन ओंट हुआ !
उभरे कुछ आतंकी चहरे , दन से बम विस्फोट हुआ !!

फिर भोर भई अगली , जो बचे वापस काम चले !
दो मिनट हुआ मोन , कुछ जगह शोक फूल डले !!
फिर चला घोशना दौर , यहाँ स्मारक बनवायेंगे !
हर घायल को दुर्घटना की, छतिपुर्ती दिलवाएंगे !!
कुछ नेता मृत घर पहुचे, जीवित परिजन एक वोट हुआ !
हर बार यही होता है , जब जब बम विस्फोट हुआ !!

समटी लाशों के टुकडों मे , किसका मजहब कौन कहे !
पटा पड़ा फर्शो पे लहू , क्या उसमे कोई धर्म बहे !!
गहरे जख्मो ने कभी क्या , अपनी जात बताई है !
निर्दोशो की बलि चडै , कैसी जेहाद बनाईं है !!
क्या किलकारी मे राम राम, या अल्लाह अल्लाह बोध हुआ !
तो फिर क्यों मजहब के नाम , एक और विस्फोट हुआ !!

2 comments:

Unknown said...

As I grow to understand life less and less,
I learn to love it more and more.

priyanka mishra said...

har insan ke man me ye dard ut jae to fir kabhi bam visfot hi na ho.