Thursday, February 24, 2011

जागा ईमान



फिर जागा ईमान मेरा सोया सोया !
दर्पण मे देखा इंसान मेरा खोया !!

भूला था हस्ती अपनी अब याद मुझे !
फोड़ा घड़ा अभिमान का सर रख जो ढोया !!

यूँ बदले हालात कि हँसना भूल गये !
रोते रोते सोया जग के फिर रोया !!

दाग न झूठी शोहरत का कोई रह जाये !
अपने आंसू मन का दर्पण फिर धोया !!

आयी फसल तो मुह लटका के बैठा क्यों !
कटेगा तू अब जो तुने तब बोया !!

जाते जाते दर्पण वो दिखला ही गया !
चहरा देख के असली अपना मै रोया !!

दिल पे निशा जो छोड़ा उसने कैसे मिटे !
हर एक कोना , आंगन , बिस्तर सब धोया !!

Sunday, February 13, 2011

जीवन संगनी



तुम हो मेरा प्रथम अंतिम , दिन पहर पल पल का प्रेम !
तुम से मेरी हर ख़ुशी , तुम ही मेरे दिल का चैन !!

तुम सुनहरी सुबह मेरी, तुम गुलाबी मेरी शाम !
दोपहर मे तुम ठंडक , रातों का मेरे आराम !!
तुम बसंती बहार , ग्रीष्म मे ठंडी बयार !
शीत धुप गुनगुनी , सावन पहली फुहार !!
लगता है जैसे तुम , इश्वरीय कोई देन !

साथ जब से तू चली , जीवन हुआ मेरा बहार !
हर ख़ुशी है साँथ मेरे, मिल गया जब तेरा प्यार !!
बस युँही अब साथ चल , हाथों मे ले मेरा हाथ चल !
खुशबू बन महका दे दिन , चाँद बन हर रात चल !!
तुझसे हो मेरा दिन शुरू, तुझको पे ख़त्म हो मेरी रैन !

मेरी जीवन संगनी , प्रेम दिवस पे है वचन !
तन की अंतिम स्वास तक , तुम बसी हो मेरे मन !!
तुम ही मेरी प्रीत हो , भोली चंचल मीत हो !
मेरे होंठो पर सजा ,प्रेम का हर गीत हो !!
तुझको देख मै जीयूँ , साथ तेरे बंद हो नैन !

तुम से ही मेरी हर ख़ुशी , तुम ही मेरे दिल का चैन !!